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मजदूर हूँ मैं
न जाने क्या करता रहा कसूर हूँ मैं?
वक्त के हाथों ही बनता मजबूर हूँ मैं,
खूब प्रताड़ना सहने में तो मशहूर हूँ मैं।
हाँ! शायद इसीलिए...
इक रव है, आदि से एकांत पलों के अंत तक
।।कविता।।
यूँ लगा था, पहले पहल,
बड़े नीरव से हैं, वो एकांत पल,
दीर्घ श्वांस भरते होंगे, वो एकांत पल,
एकाकी रहती होंगी, वो हरपल,
सिमटे से, होंगे वो...